पृष्ठ

बुधवार, 25 नवंबर 2009

sath do

तुम साथ दो तुम साथ भी दो

में लड़ना चाहता हू

एक घोषित युद्ध .

युद्ध

कलम से जो रंगने लगती है

कागजों को परम्परा के नाम पर

पुराण प्रतीकों

के माध्यम से कविता,

में इतिहास दोहराना का पक्षधर नही

मान्य्तायो का लिजलिजापन

सिहरन नही पीड़ा करता है