तिरछी नजर
पृष्ठ
मुखपृष्ठ
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2010
(5)
►
अगस्त
(3)
►
अग॰ 29
(1)
►
अग॰ 08
(2)
►
जुलाई
(2)
►
जुल॰ 27
(1)
►
जुल॰ 21
(1)
▼
2009
(4)
▼
दिसंबर
(3)
►
दिस॰ 29
(1)
►
दिस॰ 23
(1)
▼
दिस॰ 12
(1)
शीत में वसंत
►
नवंबर
(1)
►
नव॰ 25
(1)
योगदान देने वाला व्यक्ति
अनूप शुक्ल
अरविन्द मिश्र
शनिवार, 12 दिसंबर 2009
शीत में वसंत
बड़े
अचम्भा
था
नायिका
को
,
दिसम्बर
को
वागन
में
वसंत
बगरो
है
।
कोअलिया
भी
कुकी
नही
.
न
तो
भौरा
मंडराया
,
आम
काहे
वौराया
.
आम
भी
लगता
आम
आदमी
की
तरेह
वे
मौसम
कुछ
भी
करने
लगा
है
।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)