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योगदान देने वाला व्यक्ति
अनूप शुक्ल
अरविन्द मिश्र
मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
कुछ तो है
ऐ खुदा दे चंद आंसू,याद में उसकी बहा लूं
मेरी आंखों के समंदर, होंठ जिसके पी चुके हैं।
कांप उठा फ़िर से दरिया, सर से लेकर पांव तक,
लग रहा आदम बेटी प्यार में डूबी यहीं है।
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